कानून Qanoon Lyrics in Hindi - Satinder Sartaaj | Lyricstv

 Qanoon Lyrics in Hindi - Satinder Sartaaj

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     Qanoon lyrics in hindi Satinder sartaaj. Qanoon एक हिंदी song हैं जिसे Satinder sartaaj ने गाया हैं। Qanoon song का music Beat minister ने दिया हैं जबकि compose किया हैं Satinder sartaaj ने। Qanoon lyrics Satinder sartaaj ने लिखें हैं। Qanoon song को youtube के "SagaHits" channel पर रिलीज़ किया गया हैं।

Qanoon lyrics in hindi satinder sartaaj
Qanoon lyrics in hindi satinder sartaaj

Qanoon Song Details:-
Title - Qanoon
Singer - Satinder Sartaaj
Lyrics - Satinder Sartaaj
Music - Beat Minister
Composer - Satinder Sartaaj
Label - SagaHits
Release date - January 2, 2021

Qanoon lyrics in hindi - Satinder sartaaj

मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से
मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं
आफत ओर वबालो से
मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से
बहुत से ऐसे वाक़यात
जो पहली बार ही होते हैं
बहुत से ऐसे हादसात
जो पहली बार ही होते हैं

बहुत से ऐसे वाकयात
जो पहली बार ही होते हैं
बहुत से ऐसे हादसात
जो पहली बार ही होते हैं
उनमें गलत सही अब कैसे
साबित करें हवालों से

मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं
आफत ओर वबालो से
मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से

खेल ज़िंदगी के ना
जीतें गए कभी चालाकी से
ना ही ज्यादा कम दिलेयो से
ओर ना ही बेबाक़ी से

खेल ज़िंदगी के ना
जीतें गए कभी चालाकी से
ना ही ज्यादा कम दिलेयो से
ओर ना ही बेबाकी से
ये बाजी पेचीदा हैं
शायद शतंरज की चालो से

मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं
आफत ओर वबालो से
मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से

यूँ तो चाहे खूब रसाले छापो
और मजमून लिखो
अल्लाह करके अखबारों से
चाहे फिर कानून लिखो

यूँ तो चाहे खूब रसाले छापो
और मजमून लिखो
अल्लाह करके अखबारों से
चाहे फिर कानून लिखो

हल तो आखिर निकलेगा 
बुनयादी असल सवालों से

मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं
आफत ओर वबालो से
मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से

वैसे तो अगर सोचे तो
सब कागज के फरमान ही हैं
कूवत हैं महदूद क्यूँकि
मुसीफ़ भी इंसान ही हैं

वैसे तो अगर सोचे तो
सब कागज के फरमान ही हैं
कूवत हैं महदूद क्यूँकि
मुसीफ़ भी इंसान ही हैं

खून टपकता देखा हैं
इंसाफ के बुत की गाहलो से

मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं
आफत ओर वबालो से
मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से

पलक छपकते दुनियाँ बदले
ऐसा हुआ ना होगा भी
जिम्मेदार बराबर के हैं
सदर भी और दरोगा भी

पलक छपकते दुनियाँ बदले
ऐसा हुआ ना होगा भी
जिम्मेदार बराबर के हैं
सदर भी और दरोगा भी

जरा जरा से फर्क पड़ेंगे
इन सरताज ख़यालो से

मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से
अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं
आफत ओर वबालो से
मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से

अब तक मुद्दे बिगड़े ही हैं
आफत ओर वबालो से
मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से

मेरी एक गुज़ारिश हैं
कानून बनाने वालों से...

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